बुधवार, 10 अगस्त 2016

गर्भपात रोकने के लिए

गर्भपात रोकने के लिए

कई महिलाओं का गर्भावस्था धारण करने के कुछ हफ्तों के बाद गर्भपात हो जाता हैं। जिससे बच्चों से जुडी उनकी सारी आकंशाए खत्म हो जाती हैं। गर्भपात गर्भावस्था के 24 हफ्तों के अंदर शिशु का पेट में ही समाप्त  हो जाना कहलाता हैं। एक महिला जब गर्भावस्था में होती हैं, तो उसके परिवार की सारी उम्मीदें उससे जुड़ जाती हैं, लेकिन जैसे ही उसका अनचाहा गर्भपात हो जाता हैं, तो उससे जुडी लोगों की उमीदें तो खत्म होती ही हैं, साथ ही साथ गर्भपात के कारण महिला के शरीर में कुछ ऐसी समस्याएं हो जाती हैं, जिससे वह बहुत परेशान हो जाती हैं। कुछ ऐसी भी महिलाएं होती हैं. जिनका का बार–बार गर्भपात हो जाता हैं, जिसका असर उनके शरीर के साथ साथ मस्तिष्क पर भी पड़ता हैं। अगर किसी महिला को गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में गर्भपात हो जाये तो गर्भपात होना आम हैं। शुरूआती दिनों में गर्भपात होने का कारण महिला के गर्भ में भूर्ण का पूर्ण विकसित न होना हो सकता हैं, लेकिन अगर किसी महिला का बार–बार गर्भपात हो रहा हैं. तो इसकी कोई गम्भीर वजह हो सकती हैं.


गर्भपात होने के कारण
1.    गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में गर्भपात होने का कारण क्रोमोजोम की समस्या हो सकती हैं. यह कोई खास समस्या नहीं हैं. क्रोमोजोम की समस्या बिना किसी वजह के ही उत्पन्न हो जाती हैं. इस समस्या के होने पर महिला के गर्भ में भूर्ण पूरी से विकसित नहीं हो पाता।
2.    महिला की अधिक उम्र भी गर्भपात की एक वजह हो सकती हैं. महिला की अधिक आयु होने पर उसके गर्भ के शिशु में कुछ असामान्य गुणसूत्रों की संख्या अधिक पाई जाती हैं. जिसके कारण महिला का गर्भपात हो जाता हैं।
3.    महिला का गर्भपात होने की एक वजह महिला को किसी प्रकार की बीमारी होना भी हो सकता हैं. यह सम्भावना उन महिलओं में अधिक होती हैं जिनका वजन लगातार बढ़ता जाता हैं. वजन बढने से परेशान महिलाओं में से अधिकतर को मधुमेह या थायराइड की बिमारी होती हैं. इन दोनों रोगों में से किसी एक रोग से ग्रस्त महिला में यह रोग अनियंत्रित हो जाता हैं. तो गर्भपात की सम्भावना बढ़ जाती हैं।
4.     गर्भपात होने के कारण एंटी फोस्फो लिपिड सिंड्रोम या स्टिकी रक्त सिंड्रोम (चिपचिपा रक्त) हो सकते हैं. इन दोनों सिंड्रोम की वजह से रक्त के थक्के रक्त वाहिकाओं में जम जाते हैं. जिसके कारण गर्भपात हो जाता हैं।
5.    यौन संचारित संक्रमण होने पर भी गर्भपात हो सकता हैं. महिला को यौन संचारित संक्रमण होने पर पोलिसिस्टिक या फिर क्लैमाइडिया नामक दो अंडाशय से सम्बन्धित दोष उत्पन्न हो  जाते हैं. ये दोनों महिला के हार्मोन्स को प्रभावित करते हैं. जिससे गर्भपात होने की सम्भावना महिला में बढ़ जाती हैं।
6.    गर्भपात होने का एक कारण ह्यूस सिंड्रोम भी हो सकता हैं. यह सिंड्रोम अक्सर लूपुस जैसी बीमारी के होने पर प्रकट हो जाता हैं. जो की गर्भपात होने की एक बहुत ही बड़ी समस्या हैं।
7.    गर्भपात होने की वजह लिस्तिरेइओसिस और टोक्सोप्लाजमोसिज नामक संक्रमण भी हो सकते हैं।
8.     गर्भपात होने का एक कारण महिला की जीवनशैली भी हो सकती हैं. गर्भपात अधिक मात्रा में कैफीन का सेवन करने से भी हो सकता हैं. गर्भपात अगर किसी महिला को शराब पीने की आदत हो या ध्रूमपान करने की आदत हो तो भी हो सकता हैं।

गर्भपात होने के लक्षण
अलग अलग महिलाओं में गर्भपात के लक्षण अलग होते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि सभी को एक ही प्रकार के गर्भपात का अनुभव हो। इसके अतिरिक्त, यह योनिक स्राव कुछ महिलाओं के लिये गर्भापत का चिन्ह नहीं है और कुछ महिलाओं के लिये गर्भावस्था के प्रारम्भ में रक्त स्राव या असामान्य योनिक स्राव स्वस्थ और पूर्ण कालिक गर्भावस्था को देता है। जोखिम को कम करने के लिये चिकित्स्कीय परीक्षण गर्भपात या किसी अन्य स्राव के कारण का पता लगाने के लिये बेहतरीन समाधान है।

1.   विभिन्न प्रकार के योनिक स्राव हैं-
बड़ी मात्रा में तरल या चिंताजनक मात्रा में हल्के गुलाबी रंग के म्युकस का स्राव, अचानक से निकलना गर्भपात का संकेत देता है। भूरे या लाल रंग के दाग गर्भपात का संकेत देते हैं। कुछ मामलों में रक्त स्राव ज्यादा हो सकता है। कोशिकाओं के गुल्म की उपस्थिति स्राव में जो मोटा, थक्केदार रक्त या हल्के गुलाबी या ग्रे पदार्थ गर्भपात का संकेत देता है।

2.  पीठ या पेड़ू में महत्वपूर्ण शारीरिक, केन्द्रित दर्द पर ध्यान देना।
कभी कभी मासिक धर्म के दौरान महिलाओं द्वारा गम्भीर दर्द अनुभव होता है। अगर आपको निचले पेड़ू में तेज़ दर्द होता है तो देखभाल आवश्यक है यह इस बात का संकेत है कि भ्रूण निकलने वाला है। कुछ मामलों में ये संकेत सांस लेने में तकलीफ देते हैं जो गर्भपात के सकारात्मक संकेत हैं।

3.  संकुचन दर्द के बीच के समय पर ध्यान दें।
संकुचन दर्द बच्चे के दर्द के पूर्व देखा जाता है और वह बहुत दर्द देता है और प्राय: लगभग 5 से 20 मिनट पर करता है। लेकिन जब यह दर्द गर्भावस्था के दौरान होता है तो यह गर्भपात का संकेत है। कुछ मामलों में अपरिपक्व दर्द अस्पताल पर रोका जा सकता है और गर्भावस्था को बनाये रखा जा सकता है।

4.  सावधान रहें अगर गर्भावस्था के लक्षण में कमी हो।
गर्भावस्था के लक्षण में कमी या फिर गायब होने का संकेत जैसे वजन में कमी, संकेत दे सकता है कि गर्भावस्था गर्भपात में बदल रहा है और उचित रीति से सूचित किया जाना चाहिये।

5.  मरोड़ें उठना
धब्बों के साथ मरोड़ें उठना गर्भपात होने के शुरूआती लक्षणों में से एक माना जाता है .पर कुछ महिलाओं को इस बात की अनुभूति नहीं होती कि वे गर्भवती हैं, क्योंकि उनकी गर्भावस्था के हॉर्मोन (hormones) कम होने लगते हैं .उदाहरण के तौर पर वे स्तनों की नरमाहट या मतली के लक्षणों को महसूस नहीं कर पाती हैं।
गर्भपात होने के सबसे मुख्य लक्षणों में मरोड़ें उठना, धब्बे और गर्भावस्था के लक्षणों को महसूस ना करना होता है। मरोड़ें और धब्बे पड़ने की समस्या पहली तिमाही में होती है और स्तनों के नर्म होने और मॉर्निंग सिकनेस (morning sickness) जैसे सामान्य लक्षणों से पहले होती है। यह 13 हफ़्तों तक ठीक हो जाती है और तब तक गर्भपात नहीं होता। ऐसे समय अपने डॉक्टर से संपर्क कर लें।

6.  दर्द
खून निकलने के साथ दर्द होना भी गर्भपात का एक लक्षण होता है। यह दर्द, पेट, कूल्हों के भाग या पीठ के निचले हिस्से में हो सकता है। यह दर्द हलके से लेकर मासिक धर्म की मरोड़ों जितना तेज़ हो सकता है। यह बताना कठिन होता है कि यह दर्द सामान्य है या नहीं, क्योंकि इस तरह के दर्द गर्भावस्था के दौरान भी काफी सामान्य होते हैं। उस समय आपके गर्भाशय के बढ़े आकार को संभालने के लिए आपका शरीर बड़ा हो जाता है।

7.  खून निकलना
सबसे पहला और सबसे सामान्य गर्भपात का लक्षण योनि से ख़ून का आना है। ये रक्तस्त्राव हल्का भी हो सकता है या फिर थक्के के रूप में ज्यादा भी। यह रक्तस्त्राव कई दिनों तक चल सकता है और इसका रंग भूरे की जगह चमकीला लाल होता है। पर कई बार रक्तस्त्राव हो जाने के बाद भी गर्भावस्था सामान्य रूप से चलती रहती है। इसे चेतावनी वाला गर्भपात कहा जाता है। गर्भावस्था की पहली तिमाही में रक्त निकलना काफी सामान्य है। अगर आपको लगता है कि आप गर्भवती हैं तो रक्तस्त्राव होने की स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

8.  गर्भावस्था के लक्षणों का बदलना
गर्भावस्था के लक्षणों में आफी बदलाव जैसे बीमार होना या स्तनों का नर्म होना आदि आ सकते हैं। अगर दूसरी तिमाही के पहले ऐसे अजीब बदलाव एक महिला के शरीर में आते हैं तो इसका मुख्य कारण गर्भावस्था के हॉर्मोन में कमी आना या गर्भपात की चेतावनी हो सकता है। इस स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करें।

9.  गर्भावस्था का अहसास ना होना
जब गर्भपात का होना तय रहता है तो महिला के शरीर में अचानक से परिवर्तन होते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर बच्चे की गर्भ में मृत्यु हो जाए तो प्लेसेंटा (placenta) हॉर्मोन का उत्पादन करना बंद कर देता है। इससे महिला को लक्षण समझ में आते हैं और यह अहसास होता है कि उसका गर्भपात हो चुका है।

10.   अचानक पेट में दर्द का उठना और मासिक धर्म  का चालू हो जाना गर्भपात की शुरूआत होती है।

11.     गर्भपात होने से 24 घंटे पहले पेट के निचले हिस्से में हल्का दर्द शुरू होना और सफेद पानी या लाल पानी का जाना शुरू होता है उस समय शीघ् उपचार मिलने से गर्भपात को रोका जा सकता है।
गर्भपात आमतौर पर पहली तिमाही में ही हो जाते हैं, पर बच्चे को खो देने का अहसास हर महिला को अलग अलग समय पर होता है। आपके गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य को जांचने का यह एक तरीका है कि आप उसकी हरकतों पर ध्यान देती रहें। अगर बच्चे की हरकतों में अचानक ही कमी आए या फिर यह पूरी तरह ही बंद हो जाए तो अपने डॉक्टर से बात करें और यह जानकारी लें कि कोई और जांच ज़रूरी है या नहीं।


गर्भस्राव और गर्भपात रोकने हेतु कुछ आयुर्वेदिक उपचार !!
1- गर्भपात या मिसकैरेज को रोकने का पहला उपाय हैं की पीपल की बड़ी कंटकारी की जड को अच्छी तरह से पीस लें. अब एक गिलास भैंस का दूध लें और उसके साथ पीपल की बड़ी कंटकारी की जड़ के चुर्ण को फांक लें. रोजाना दूध के साथ इस चुर्ण का सेवन करने से गर्भपात होने की सम्भावना कम हो जाती हैं।
2- गर्भपात या मिसकैरेज को रोकने उपाय के लिए गाय का दूध और जेठीमधु दोनों को मिलाकर काढ़ा तैयार कर लें. अब इस को पी लें. आप इस काढ़े को अपनी नाभि के निचे के भाग पर भी लगा सकते हैं. काढ़े का सेवन करने से तथा काढ़े को नाभि के निचेले भाग पर लगाने से महिला को गर्भावस्था के दौरान किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी।
3- 100 ग्राम अनार के ताजा पत्ते पीसकर पानी में छानकर पीने से तथा इन पत्तों का रस पेडूपर लेप की तरह लगाने से गर्भस्राव रुक जाता है।
4- गर्भपात या मिसकैरेज को रोकने के उपाय के लिए हरी दूब के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फूल तथा फल) को लें. अब इस पंचांग को अच्छी तरह से पीस लें. पिसने के बाद  इसमें थोड़ी मिश्री और दूध को मिला लें. मिलाने के बाद इस मिश्रण से बना हुआ 250 से 300 ग्राम शर्बत का सेवन गर्भावस्था के दौरान करें. आपको लाभ होगा।
5- गर्भाशय की निर्बलता के कारण गर्भ नहीं ठहरता हो तथा गर्भस्राव या गर्भपात हो जाता हो तो कुछ सप्ताह ताजा सिंघाडे खाने चाहिए. इससे काफी लाभ होता है.
6- गर्भपात को रोकने के उपाय के लिए मूली के बीजों को अच्छी तरह से पीस लें. अब मूली के बीजों के चुर्ण को भीमसेनी कपूर तथा गुलाब के अर्क में मिला लें. अब इस चुर्ण को अपनी योनी में मलें. इस चुर्ण का प्रयोग गर्भावस्था में करने से महिला को बहुत ही फायदा होता हैं. अगर किसी महिला को गर्भा स्त्राव की समस्या हैं. तो वह इस चुर्ण का प्रयोग करके अपनी इस समय से छुटकारा पा सकती हैं।
7- नाशपाती खाने से गर्भाशय की दुर्बलता दूर हो जाती है। तथा गर्भ के कब्ज से भी छुटकारा मिल जाता है।
8- गर्भपात या मिसकैरेज को रोकने के उपाय के लिए महिलाएं नागकेसर, वंशलोचन तथा मिश्री का भो प्रयोग कर सकती हैं। इस समस्या से निदान पाने के लिए इन तीनों को मिलाकर खूब महीन चुर्ण पीस लें. अब एक गिलास दूध लें और उसके साथ 4 ग्राम चुर्ण रोजाना खाएं. आपको लाभ होगा।
9- अगर किसी महिला को गर्भ तारने के बाद गर्भ स्त्राव होने की समस्या से परेशान हैं. तो वह अशोक के पेड़ की छाल का उपयोग कर इस समस्या से निजात पा सकती हैं. इसके लिए अशोक के पेड़ की छाल को लें और उसका क्वाथ बना लें. अब इस क्वाथ का सेवन रोजाना करें. आपको गर्भ स्त्राव की समस्या से छुटकारा मिल जायेगा।
10- गर्भपात या मिसकैरेज को रोकने के उपाय के लिए गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को रोजाना एक पके हुए केले को मथकर उसमें शहद मिलाकर खाना चाहिए. इससे गर्भाशय को लाभ होता हैं. तथा गर्भपात होने का भय भीं नहीं रहता।
11- जिनको बार बार गर्भपात हो जाता हो वे गर्भ स्थापित होते ही नियमित रूप से कमल के बीजों का सेवन करें ,कमल की डंडी और नागकेसर को बराबर की मात्रा में पीस कर सेवन करने से प्रारंभिक महीनों में होने वाला गर्भस्राव रुकता है।
12- गुलर के फलों का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में सुबह शाम दूध के साथ सेवन करते रहने से तथा गुलर की जड़ की छाल का चूर्ण समभाग मिश्री के साथ नियमित सेवन करते रहने से गर्भस्राव नहीं होता है।
13- जिन स्त्रियों को बार बार गर्भपात होता हो उन्हें गर्भस्थापना होते ही नियमित रूप से सुबह शाम एक चम्मच अनंतमूल की जड़ के चूर्ण का सेवन करते रहना चाहिए ! इससे गर्भपात भी नहीं होगा और बच्चा भी स्वस्थ और सुन्दर होगा।
14- तीसरे से पांचवे महीने में गर्भपात की आशंका होने पर नागकेसर के पुष्प , वंशलोचन और मिश्री समभाग लेकर बनाया गया चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में सुबह शाम कुछ दिन तक सेवन करने से गर्भपात नहीं होगा।
15- गर्भपात में अगर रक्तस्राव शुरू हो गया है तो बर्फ लेकर पेड़ू के निचले हिस्से पर 30 मिनट तक लगाएं, और कुछ छोटे टुकड़े कर योनि में भी रख ले, इससे रक्तस्राव रुक जाएगा और आप गर्भपात से बच जाएंगे।
16- यदि गर्भ पात होने की आशंका हो तो गोंद कतीरा एक चम्मच एक गिलास पानी मे भिगोकर कुछ दिन खायें।




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें