शुक्रवार, 2 सितंबर 2016

ताम्बे के बर्तन में रखा पानी पीने से लाभ


ताम्बे के बर्तन में रखा पानी पीने से लाभ

आप  हमेशा यात्रा करते रहते हैं जहां अपने अनुसार खान-पान नहीं हो पाता तो छोटे-मोटे ज़हरीले तत्व हमेशा किसी-न-किसी रूप में आपके अंदर पहुंच जाते हैं। ताम्बे का पानी इन ज़हरीले तत्वों से आपके शरीर की देखभाल करता है।
तांबे के बर्तन में संग्रहीत पानी में आपके शरीर में तीन दोषों (वात, कफ और पित्त) को संतुलित करने की क्षमता होती है और यह ऐसा सकारात्मक पानी चार्ज करके करता है। तांबे के बर्तन में जमा पानी ‘तमारा जल’ के रूप में भी जाना जाता है और तांबे के बर्तन में कम 8 घंटे तक रखा हुआ पानी ही लाभकारी होता है।

रात में ताम्बे के बर्तन में पानी भरकर रख दो
सुबह नींद से उठकर कुल्ला करके 2-3 गिलास पानी बैठकर पियो ।
खड़े होकर पानी पीने से आगे चलकर टागो में दर्द की problam होती है ।
फिर 45 मिनट तक कुछ भी खाना पिना नहीं है ।
अगर ऐसा रोज करेंगे तो पता है कि कोन कोन सी बीमारियों से रक्षा होगी:-
1 कब्ज
2 डायबिटीज मधुमेह
3 ब्लड प्रेशर
4 लकवा पैरालिसिस
5 कफ
6 खांसी
7 दमा brokaitis
8 यकृत लीवर के रोग
9 बहनों का अनियमित मासिक स्राव
10 गर्भाशय का kancer
11 कील मुहासे फोड़े फुंसी
12 त्वचा में झुर्रिया
13 एनीमिया ब्लड की कमी
14 मोटापा
15 टी बी
16 कैंसर
17 urrin problam पथरी धतूस्राव
18 सिर दर्द
19 जोड़ो का दर्द
20 हार्ट प्रोब्लम बेहोशी
21 आँखों की बीमारिया
22 मेनिजैतिस
23 प्रदर रोग
24 गैस प्राब्लम व् कमर के रोग
25 मानसिक दुर्बलता
26 पेट के रोग



1.बैक्‍टीरिया समाप्‍त करने में मददगार :-तांबे को प्रकृति में ओलीगोडिनेमिक के रूप में (बैक्‍टीरिया पर धातुओं की स्‍टरलाइज प्रभाव) जाना जाता है और इसमें रखे पानी के सेवन से बैक्‍टीरिया को आसानी से नष्‍ट किया जा सकता है। तांबा आम जल जनित रोग जैसे डायरिया, दस्‍त और पीलिया को रोकने में मददगार माना जाता है। थायरेक्सीन हार्मोन के असंतुलन के कारण थायराइड की बीमारी होती है। थायराइड के प्रमुख लक्षणों में तेजी से वजन घटना या बढ़ना, अधिक थकान महसूस होना आदि हैं। कॉपर थायरॉयड ग्रंथि के बेहतर कार्य करने की जरूरत का पता लगाने वाले सबसे महत्‍वपूर्ण मिनरलों में से एक है।

थायराइड को समाप्त करे -
 तांबे के बर्तन में रखें पानी को पीने से शरीर में थायरेक्सीन हार्मोन नियंत्रित होकर इस ग्रंथि की कार्यप्रणाली को भी नियंत्रित करता है। तांबे में मस्तिष्‍क को उत्तेजित करने वाले और विरोधी ऐंठन गुण होते हैं। इन गुणों की मौजूदगी मस्तिष्‍क के काम को तेजी और अधिक कुशलता के साथ करने में मदद करते है।

2.गठिया में फायदेमंद :-गठिया या जोड़ों में दर्द की समस्‍या आजकल कम उम्र के लोगों में भी होने लगी है। यदि आप भी इस समस्या से परेशान हैं, तो रोज तांबे के पात्र का पानी पीये। तांबे में एंटी-इफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह गुण दर्द से राहत दिलाता है गठिया और रुमेटी गठिया के मामले विशेष रूप से फायदेमंद होते है।

3.पाचन क्रिया को दुरुस्‍त रखें :-पेट जैसी समस्‍याएं जैसे एसिडिटी, कब्‍ज, गैस आदि के लिए तांबे के बर्तन का पानी अमृत के सामान होता है। आयुर्वेद के अनुसार, अगर आप अपने शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना चाहते हैं तो तांबे के बर्तन में कम से कम 8 घंटे रखा हुआ पानी पिएं। इससे पेट की सूजन में राहत मिलेगी और पाचन की समस्याएं भी दूर होंगी।

4.उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करें :-अगर आप त्‍वचा पर फाइन लाइन को लेकर चिंतित हैं तो तांबा आपके लिए प्राकृतिक उपाय है। मजबूत एंटी-ऑक्‍सीडेंट और सेल गठन के गुणों से समृद्ध होने के कारण कॉपर मुक्त कणों से लड़ता है—जो झुर्रियों आने के मुख्‍य कारणों में से एक है—और नए और स्वस्थ त्वचा कोशिकाओं के उत्पादन में मदद करता है।

5.खून की कमी दूर करें :-ज्‍यादातर भारतीय महिलाओं में खून की कमी या एनीमिया की समस्‍या पाई जाती है। कॉपर के बारे में यह तथ्य सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक है कि यह शरीर की अधिकांश प्रक्रियाओं में बेहद आवश्यक होता है। यह शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों को अवशोषित कर रक्त वाहिकाओं में इसके प्रवाह को नियंत्रित करता है। इसी कारण तांबे के बर्तन में रखे पानी को पीने से खून की कमी या विकार दूर हो जाते हैं।

6.वजन घटाने में मददगार :-गलत खान-पान और अनियमित जीवनशैली के कारण कम उम्र में वजन बढ़ना आजकल एक आम समस्‍या हो गई है। अगर आप अपना वजन घटाना चाहते हैं तो एक्सरसाइज के साथ ही तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। इस पानी को पीने से शरीर की अतिरिक्त वसा कम हो जाती है।

7. घाव को तेजी से भरें :-तांबा अपने एंटी-बैक्‍टीरियल, एंटीवायरल और एंटी इफ्लेमेटरी गुणों के लिए जाना जाता है। इसलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि तांबा घावों को जल्‍दी भरने के लिए एक शानदार तरीका है।

8. दिल को स्‍वस्‍थ रखें :-दिल के रोग और तनाव से ग्रसित लोगों की संख्या तेजी बढ़ती जा रही है। यदि आपके साथ भी ये परेशानी है तो तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से आपको लाभ हो सकता है। तांबे के ।बर्तन में रखे हुए पानी को पीने से पूरे शरीर में रक्त का संचार बेहतरीन रहता है। कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है और दिल की बीमारियां दूर रहती हैं।

9.पित्त,वात,कफ नाशक :-तांबे के बर्तन में रखा पानी वात, पित्त और कफ की शिकायत को दूर करने में मदद करता है। इस प्रकार से इस पानी में एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं, जो कैसर से लड़ने की शक्ति प्रदान करते हैं।

10. स्किन रखे स्वस्थ :- त्‍वचा पर सबसे अधिक प्रभाव आपकी दिनचर्या और खानपान का पड़ता है। इसीलिए अगर आप अपनी त्‍वचा को सुंदर बनाना चाहते हैं तो रातभर तांबे के बर्तन में रखें पानी को सुबह पी लें। ऐसा इसलिए क्‍योंकि तांबा हमारे शरीर के मेलेनिन के उत्‍पादन का मुख्‍य घटक है। इसके अलावा तांबा नई कोशिकाओं के उत्‍पादन में मदद करता है जो त्‍वचा की सबसे ऊपरी परतों की भरपाई करने में मदद करती है। नियमित रूप से इस नुस्खे को अपनाने से त्‍वचा स्‍वस्‍थ और चमकदार लगने लगेगी।

प्राकर्तिक चिकित्सा का सर्टिफिकेट कोर्स

प्राकर्तिक चिकित्सा का सर्टिफिकेट कोर्स
भारत मे पहली बार  प्राकर्तिक चिकित्सा का सर्टिफिकेट कोर्स
स्वास्थ्य क्रांति -: आज 21वीं सदी का एक दशक बीत चुका है। आने वाला समय जरूरी है, स्वास्थ्य क्रांति के लिए, स्वास्थ रहने की इच्छा प्रत्येक व्यक्ति में होती है। और हम स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता के शुरुआती दौर में हैं। क्योंकि अधिकांश लोग यह नहीं जानते कि हम जो पसंद कर रहे हैं, वह हमारे शरीर पर व स्वास्थ्य पर क्या असर डाल रहा है, और जो हमें लाभकारी है, वह क्या है। हम वही स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाने जा रहे हैं। हम लोगों को उनके स्वास्थ्य के प्रति सहयोगी प्राकृतिक उपचार, खानपान, दिनचर्या, रात्रि चर्या, आदि को इस कोर्स के द्वारा विस्तार से बताएंगे। साथ ही साथ हम उन गलतियों का भी एहसास कराएंगे, जिसके कारण हमारा शरीर रोगी होता जा रहा है। हम बीमार कैसे हो रहे हैं। ओर कैसे हम दीर्घ स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं। यह सब इस कोर्स में बताएंगे।

आज हम इस युग में एक नई स्वास्थ्य क्रांति करने जा रहे हैं। जिसमें आप शामिल होकर अग्रणी भूमिका निभाऐगें। आज सरकार स्वास्थ्य पर एक अच्छा खासा बजट देती है। परंतु क्या वह स्वास्थ्य पर खर्च हो रहा है। यह सोचनीय विषय है। जो खर्च हम बीमार होने पर स्वस्थ होने के लिए कर रहे हैं, वह स्वस्थ रहने पर (रोगी ही न हो पर) क्यों नहीं कर रहे। आज स्वास्थ्य के नाम पर किया जाने वाला खर्च बीमारीयों पर सामान्य से कैंसर तक प्रतिक्रियात्मक उत्पाद एवं सेवाएं उपलब्ध कराना है। यह उत्पाद बीमारी के लक्षणों को खत्म करते हैं या फिर दवा देते हैं। परन्तु बीमारी खत्म नही हो पाती ओर दवाईयां बन्द करने के कुछ समय बाद दुबारा वही लक्षण पैदा हो जाते है। या फिर कुछ रोंगो मे (मधुमेह, बीपी, ह्रदय रोंगो में) हम जीवन भर दवाईयां खाते है ओर रोंग खत्म होने की जगह बढ़ते जाते है। साथ-साथ दवाईयां भी बढ़ती जाती है।


परंतु आज जरूरत है ऐसे स्वास्थ्य, ऐसे उत्पाद, और सेवाओं की जिससे हम बीमार ही ना पड़े। हमारी बढ़ती उम्र का असर धीमा हो जाए, और कोई भी बीमारी शुरुआती दौर में ही खत्म हो जाए। यह तभी संभव है, जब हमें पता हो, कि बीमारी कैसे पैदा हो रही है। हम कैसे उसको रोक सकते हैं। कैसे हम उससे बच सकते हैं। वह कौन से तरीके हैं, जो जीवन को आरामदायक एवं आनंदित बना सकते हैं। जिनसे हम जीवन की गुणवत्ता व दीर्घ आयु प्राप्त कर सकते है।
बीमा कंपनियां भी आज स्वास्थ्य बीमा कर रही हैं। कि अगर बीमार हो गए, तो पैसा हम देंगे, नई-नई दवाइयों के आने से क्या रोग रुक रहे हैं। आज जितने हास्पिटल बढ़ रहे हैं, उतने ही मरीज भी तैयार हो रहे हैं क्यों, क्योंकि हम बीमारी के बाद स्वास्थ्य के बारे में सोचते हैं। स्वस्थ रहने पर उसे स्थाई रखने की कोशिस नही करते, और जानबूझकर उसे बिगड़ने देते हैं। या यूं कहें कि रोगों का पता हमें शुरू से होता है। जब रोग पहली दस्तक देता है। तो हम जानते हैं कि शरीर में कुछ असहज हो रहा है। परंतु हम उस असहजता को नजरअंदाज करते जाते हैं। और जब वह रोंग बड़ा बनकर उभरता है। तो ठीक होना चाहते हैं क्यों। क्योंकि हमें जानकारी नहीं है। यही है स्वास्थ क्रांति, कि हम स्वस्थ रहने की ओर अग्रसर हो, ना कि रोगों को ठीक करने के लिऐ।



आज प्राकृतिक चिकित्सा, एक्यूप्रेशर, सुजोक, जल चिकित्सा, मड चिकित्सा, योग चिकित्सा, रेकी हीलिंग, जैसी 150 से भी जायेंदा वैकल्पिक चिकित्सा अपना अस्तित्व बनाने में लगी हुई है। जो मनुष्य को स्वास्थ्य प्रदान कर रही है। लोगों में दिन-प्रतिदिन जागरुकता बढ़ रही है, और यह स्वास्थ्य चेतना भी हमारे जीवन को निश्चित रूप से बदलने में सक्षम होगी। हमें आज जरुरत है पंचतत्व को जानने की, उनके प्रयोग की, हमारा शरीर पूर्ण रूप से पंच तत्वों के सहयोग व ऊर्जा (आत्मा चेतना आदि) के सहयोग से बना है। और उसी की कमी या अधिकता से रोगी भी होता है। हम कोर्स में प्रत्येक तत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे और उनकी पूर्ति कैसे करनी है, कमी होने पर क्या क्या रोग होते हैं, अधिक होने पर क्या क्या रोग होते हैं। उनका संतुलन कैसे रख सकते हैं। यदि हमने यह जान लिया तो निश्चित ही हम स्वास्थ्य रक्षक बन जाएंगे स्वयं के भी और दूसरों के भी, इसके लिए आज से ही स्वास्थ्य क्रांति की ओर बड़े और जन स्वास्थ्य रक्षक बने तथा दूसरों को भी स्वास्थ्य के प्रति जागरुक करें यही उद्देश्य है इस स्वास्थय क्रांति का इस प्राकृत चिकित्सा के कोर्स का।
 

रविवार, 28 अगस्त 2016

भारत मे पहली बार “कल्पांत रेकी साधना कोर्स Whatsapp ओर Hike पर”


भारत मे पहली बार “कल्पांत रेकी साधना कोर्स Whatsapp ओर Hike पर”

रेकी परिचय -:

 रेकी (Reiki) एक जापानी शब्द हैं।, जिसका अर्थ हैं। सर्वव्यापी जीवनी शक्ति (Universal Life Energy), इसको ब्रह्मांडीय ऊर्जा (Cosmic Energy) भी कहा जाता हैं। प्रत्येक मनुष्य इस जीवनी शक्ति के साथ उत्पन्न होता हैं। और पूरे जीवन इसका जाने अनजाने प्रयोग करता रहता हैं। लगभग 1800 ईसा के अंतिम वर्षों में डाँ मिकाओ उशुई ने रेकी को खोजा ओर उन्हे इसका संस्थापक माना गया हैं। परंतु हमारे ऋषि मुनियों ने, संत महात्माओं ने जीवन के आरंभ में ही इस विधि को जान लिया था। और वह प्रार्थना के द्वारा इसका प्रयोग करते थें। हमारे प्राचीन ऋषियों की संपदा को ही डॉक्टर मिकाओ उशुई ने खोजा और जापानीज सिंबल व जापानी मंत्र दिए, परन्तु कल्पांत रेंकी साधना में हम भारतीय सिंबल व मंत्र के द्वारा रेंकी हीलिंग सीखेंगे और यह रेकी या ऊर्जा जापानीज रेकी से हजारों गुना तेजी से काम करेंगी और इसको जानना व सीखना भी आसान होगा।

आप ने सुना होगा कि हमारे पूर्वज, गुरु, संत, महात्मा, शक्तिपात किया करते थें, और वह इससे चक्रों को जागृत किया करते थें। चक्र जागृत करने के दो ही रास्ते हैं। एक ध्यान व दूसरा शक्तिपात, तो शक्तिपात की इस क्रिया को ही रेकी कहा जाता हैं। परंतु डाँ मिकाओ उशुई ने इसे ध्यान के द्वारा प्राप्त किया था। और एक खास बात की रेकी कुंडलिनी शक्ति का प्रयोग ही हैं। रेकी मैं ऊर्जा ब्रह्मांड से लेकर आगे सामने वाले पर प्रवाहित की जाती हैं, और उसका चैनल या यूं कहें कि माध्यम हम होते हैं बस यही रेकी हैं।।

हम आपको 21 दिन का कल्पांत रेकी साधना 1 डिग्री और 2 डिग्री का कोर्स करा रहे हैं।

 यह पूरा कोर्स Whatsapp ओर Hike पर होगा, हम आपको नोट्स भेजेंगे और आपको रेकी शक्तिपात के लिये एक फोटो Whatsapp या Hike पर भेजना होगा। साथ ही एक बार 30 मिनट का समय आपको Online call पर देना होगा जिसमें आपको मंत्र दिक्षा व शक्तिपात किया जायेगा। ओर फिर आपको एक घंटे नियमित अभ्यास शुरू करना होगा

 इसके साथ हम आपको फर्स्ट डिग्री और सेकंड डिग्री की बुक पीडीएफ में देगे ओर रेकी फर्स्ट व सेकंड डिग्री का सर्टिफिकेट भी आपके पते पर भेजेंगे। जो आत्मजन कोर्स करना चहाते है उन्है 2100 रू जमा करने होगें, रू जमा करते ही आपको एक फार्म पीडीएफ मे दिया जायेंगा, आपको उसे डाउनलोड कर भरकर तीन फोटो के साथ कोरियर करना होगा। ओर साथ ही आपका कोर्स शुरू कर दिया जायेगा।

अधिक जानकारी के लिए "9958502499" पर संपर्क करें। आप ने सुना होगा कि हमारे पूर्वज, गुरु, संत, महात्मा, शक्तिपात किया करते थें, और वह इससे चक्रों को जागृत किया करते थें। चक्र जागृत करने के दो ही रास्ते हैं। एक ध्यान व दूसरा शक्तिपात, तो शक्तिपात की इस क्रिया को ही रेकी कहा जाता हैं। परंतु डाँ मिकाओ उशुई ने इसे ध्यान के द्वारा प्राप्त किया था। और एक खास बात की रेकी कुंडलिनी शक्ति का प्रयोग ही हैं। रेकी मैं ऊर्जा ब्रह्मांड से लेकर आगे सामने वाले पर प्रवाहित की जाती हैं, और उसका चैनल या यूं कहें कि माध्यम हम होते हैं बस यही रेकी हैं।।

हम आपको 21 दिन का कल्पांत रेकी साधना 1 डिग्री और 2 डिग्री का कोर्स करा रहे हैं।
यह पूरा कोर्स Whatsapp ओर Hike पर होगा, हम आपको नोट्स भेजेंगे और आपको रेकी शक्तिपात के लिये एक फोटो Whatsapp या Hike पर भेजना होगा। साथ ही एक बार 30 मिनट का समय आपको Online call पर देना होगा जिसमें आपको मंत्र दिक्षा व शक्तिपात किया जायेगा। ओर फिर आपको एक घंटे नियमित अभ्यास शुरू करना होगा


इसके साथ हम आपको फर्स्ट डिग्री और सेकंड डिग्री की बुक पीडीएफ में देगे ओर रेकी फर्स्ट व सेकंड डिग्री का सर्टिफिकेट भी आपके पते पर भेजेंगे। जो आत्मानुभव कोर्स करना चहाते है उन्है 2100 रू जमा करने होगें, रू जमा करते ही आपको एक फार्म पीडीएफ मे दिया जायेंगा, आपको उसे डाउनलोड कर भरकर तीन फोटो के साथ कोरियर करना होगा। ओर साथ ही आपका कोर्स शुरू कर दिया जायेगा।

अधिक जानकारी के लिए "9958502499" पर संपर्क करें

आप ने सुना होगा कि हमारे पूर्वज, गुरु, संत, महात्मा, शक्तिपात किया करते थें, और वह इससे चक्रों को जागृत किया करते थें। चक्र जागृत करने के दो ही रास्ते हैं। एक ध्यान व दूसरा शक्तिपात, तो शक्तिपात की इस क्रिया को ही रेकी कहा जाता हैं। परंतु डाँ मिकाओ उशुई ने इसे ध्यान के द्वारा प्राप्त किया था। और एक खास बात की रेकी कुंडलिनी शक्ति का प्रयोग ही हैं। रेकी मैं ऊर्जा ब्रह्मांड से लेकर आगे सामने वाले पर प्रवाहित की जाती हैं, और उसका चैनल या यूं कहें कि माध्यम हम होते हैं बस यही रेकी हैं।।

हम आपको 21 दिन का कल्पांत रेकी साधना 1 डिग्री और 2 डिग्री का कोर्स करा रहे हैं।
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प्राकर्तिक चिकित्सा का सर्टिफिकेट कोर्स

भारत मे पहली बार  प्राकर्तिक चिकित्सा का सर्टिफिकेट कोर्स

" कल्पांत रेकी साधना कोर्स की सफलता के बाद अब प्राकर्तिक चिकित्सा में 6 महीने का सर्टिफिकेट कोर्स Whatsapp ओर Hike पर "
हम आपको प्राकर्तिक चिकित्सा का 6 महीने का सर्टिफिकेट कोर्स करा रहे हैं। जिसमे आप स्वयं के डाक्टर बन जाते है। ओर सभी साध्य व असाध्य रोंगों का उपचार बिना दवा के प्राकर्तिक तरीके से कर पायेंगें। आपके लिये कुछ सवाल

1. क्या आपका घर मैडिकल स्टोर बनता जा रहा है ? (हाँ/नही)
2. क्या आपके दिन की शुरूआत दवाईयों से होती है ? (हाँ/नही)
3. क्या आप दवाईयाँ खाकर ठीक नही हो रहें है ? (हाँ/नही)
4. क्या आपके रोग बढ़तें जा रहें है ? (हाँ/नही)
5. क्या आप कम खाते हुए भी मोटे होते जा रहें है ? (हाँ/नही)
6. क्या आपका योग करते हुऐ भी बी पी सन्तुलित नही हो पा रहा है ? (हाँ/नही)
7. क्या आपका तनाव बढ़ता जा रहा है ? (हाँ/नही)
8. क्या तीनो समय खाना खाने के बाद भी आपको कमजोरी महसूस होती है ? (हाँ/नही)
9. क्या दिन-प्रतिदिन हास्पिटलों व बिमारियों की संख्या बढ़ रही है ? (हाँ/नही
10. क्या दैनिक जीवन में हम जहरीले रसायनों व खाद्वो का प्रयोग कर रहें है ? (हाँ/नही)
11. क्या आज प्रत्येक खाद्व पदार्थो मे मिलावटें बढ़ती जा रही है ? (हाँ/नही)
12. क्या हमारें शरीर को जरूरी पोषक तत्वो (विटामिन,खनिज तत्व,आदि) की पूर्ती नही हो पा रही है ? (हाँ/नही)
13. क्या आपकी रोग प्रतिरोध क्षमता कम होती जा रही है ? (हाँ/नही)
14. क्या आप कम उम्र मे भी बुड़े नजर आने लगें है ? (हाँ/नही)
15. क्या आपको लगता है कि जिन रोगो सें आप जूझ रहें हे उन्हें ठीक नही कर पायेंगें ? (हाँ/नही)
16. क्या आप वजन कम करने के प्रति गंभीर है ? (हाँ/नही)
17. क्या आपकी एक अच्छे स्वस्थ मे रूचि है ? (हाँ/नही)
18. क्या आप दवाईयो को जीवन मे कम करना चाहते है ? (हाँ/नही)
19. क्या आप क्रोध, भय, चिन्ता, तनाव से मुक्त व ऊर्जावान जीवन जीना चाहते है ? (हाँ/नही)
20. क्या आपको लगता है कि आप अपने रोगो को ठीक नही कर पायेगे ? (हाँ/नही)
21. क्या आप अपने स्वस्थ को केवल 1 घंण्टा देने के लिऐ तैयार है ? (हाँ/नही)

यदि आपके अधिकतर सवालो का जबाव (हाँ) है। तो आप हमारे प्राकर्तिक चिकित्सा का सर्टिफिकेट कोर्स करें। जिसमे आपको इन सब सवालो के जबाव व अधिक स्वस्थ रहने के तरीको के बारे में जान पायेंगें, ओर आप स्वयं स्वस्थ रहकर परिवार को स्वस्थ रख पायेगें।

आज एलोपैथी के उपचार से हम अपनी जीवनी शक्ति को खोते जा रहे है, ओर इतनी मेडिसन लेते हुए भी स्वस्थ नहीं हो पा रहे है, ओर रोंग ठीक होने की जगह बड़ते जा रहे है, दवाईयां कम होने की जगह निरंतर बढती जा रही है, दवाईयों व रोंगों से छुटकारा पाने के लिये प्राकर्तिक चिकित्सा का कोर्स बनाया गया है, हमारा शरीर पांच पंचतत्व व छठा चेतन तत्व (आत्म तत्व) से मिलकर बना है, ओर इन्ही तत्वों के द्वारा हम शरीर को पूर्ण रूप से स्वस्थ रख सकते है, हमारे शरीर में वो जीवनी शक्ति है जिसके द्वारा हम स्वयं रोंगों को ठीक कर सकते है, प्राकर्तिक चिकित्सा हमें वो जीवन शेली देती है जिससे हम रोंगों को तो ठीक करते ही है साथ ही साथ आने वाले रोंगों से भी बच जाते है, ओर एक बार कोर्स करके आप लाखो रूपये की सर्जरी व दवाईयों से बच जायेंगें।

इस कोर्स में प्राकर्तिक चिकित्सा का इतिहास क्या है, प्राकर्तिक चिकित्सा क्या है, प्राकर्तिक चिकित्सा के सिद्धांत क्या है, पंच तत्व क्या है, उनसे किस प्रकार चिकित्सा की जाती है, असाध्य रोंगों का उपचार बिना दवा के केसे करे, विभिन्न स्त्री, पुरुष, बच्चों के रोंग व सामान्य रोंगों के लक्षण कारण व उपचार, जल तत्व चिकित्सा, वायु तत्व चिकित्सा, आकाश तत्व चिकित्सा, मिटटी तत्व चिकित्सा, अग्नि तत्व चिकित्सा के बारे में विस्तार से जानेंगें।

यह पूरा कोर्स Whatsapp ओर Hike पर होगा। हम आपको नोट्स भेजेंगे और आपको निरंतर उनको पढ़ना होगा। 6 महीने बाद आपको एक एग्जाम पेपर पीडीऍफ़ में दिया जायेगा उसको हल करके मुझे कोरियर करना होगा, ओर आपको प्राकर्तिक चिकित्सा का सर्टिफिकेट आपके पते पर भेंज दिया जायेंगा। जो आत्मजन कोर्स करना चहाते है उन्है 5100 रू जमा करने होगें। रू जमा करते ही आपको एक फार्म पीडीएफ मे दिया जायेंगा। आपको उसे डाउनलोड कर भरकर तीन फोटो के साथ कोरियर करना होगा। ओर साथ ही आपका कोर्स शुरू कर दिया जायेगा।

कोर्स पूरा होने के बाद जो आत्मजन प्रयोगात्मक ट्रेनिग की इच्छा रखते है उन्हें एक दिवसीय ट्रेनिग हमारे केंद्र कल्पांत सेवाश्रम मुरादनगर गाजियाबाद पर 1000 रू जमा कर प्रदान की जाएगी।

अधिक जानकारी के लिए "9958502499" पर संपर्क करें

बुधवार, 10 अगस्त 2016

गर्भपात रोकने के लिए

गर्भपात रोकने के लिए

कई महिलाओं का गर्भावस्था धारण करने के कुछ हफ्तों के बाद गर्भपात हो जाता हैं। जिससे बच्चों से जुडी उनकी सारी आकंशाए खत्म हो जाती हैं। गर्भपात गर्भावस्था के 24 हफ्तों के अंदर शिशु का पेट में ही समाप्त  हो जाना कहलाता हैं। एक महिला जब गर्भावस्था में होती हैं, तो उसके परिवार की सारी उम्मीदें उससे जुड़ जाती हैं, लेकिन जैसे ही उसका अनचाहा गर्भपात हो जाता हैं, तो उससे जुडी लोगों की उमीदें तो खत्म होती ही हैं, साथ ही साथ गर्भपात के कारण महिला के शरीर में कुछ ऐसी समस्याएं हो जाती हैं, जिससे वह बहुत परेशान हो जाती हैं। कुछ ऐसी भी महिलाएं होती हैं. जिनका का बार–बार गर्भपात हो जाता हैं, जिसका असर उनके शरीर के साथ साथ मस्तिष्क पर भी पड़ता हैं। अगर किसी महिला को गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में गर्भपात हो जाये तो गर्भपात होना आम हैं। शुरूआती दिनों में गर्भपात होने का कारण महिला के गर्भ में भूर्ण का पूर्ण विकसित न होना हो सकता हैं, लेकिन अगर किसी महिला का बार–बार गर्भपात हो रहा हैं. तो इसकी कोई गम्भीर वजह हो सकती हैं.


गर्भपात होने के कारण
1.    गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में गर्भपात होने का कारण क्रोमोजोम की समस्या हो सकती हैं. यह कोई खास समस्या नहीं हैं. क्रोमोजोम की समस्या बिना किसी वजह के ही उत्पन्न हो जाती हैं. इस समस्या के होने पर महिला के गर्भ में भूर्ण पूरी से विकसित नहीं हो पाता।
2.    महिला की अधिक उम्र भी गर्भपात की एक वजह हो सकती हैं. महिला की अधिक आयु होने पर उसके गर्भ के शिशु में कुछ असामान्य गुणसूत्रों की संख्या अधिक पाई जाती हैं. जिसके कारण महिला का गर्भपात हो जाता हैं।
3.    महिला का गर्भपात होने की एक वजह महिला को किसी प्रकार की बीमारी होना भी हो सकता हैं. यह सम्भावना उन महिलओं में अधिक होती हैं जिनका वजन लगातार बढ़ता जाता हैं. वजन बढने से परेशान महिलाओं में से अधिकतर को मधुमेह या थायराइड की बिमारी होती हैं. इन दोनों रोगों में से किसी एक रोग से ग्रस्त महिला में यह रोग अनियंत्रित हो जाता हैं. तो गर्भपात की सम्भावना बढ़ जाती हैं।
4.     गर्भपात होने के कारण एंटी फोस्फो लिपिड सिंड्रोम या स्टिकी रक्त सिंड्रोम (चिपचिपा रक्त) हो सकते हैं. इन दोनों सिंड्रोम की वजह से रक्त के थक्के रक्त वाहिकाओं में जम जाते हैं. जिसके कारण गर्भपात हो जाता हैं।
5.    यौन संचारित संक्रमण होने पर भी गर्भपात हो सकता हैं. महिला को यौन संचारित संक्रमण होने पर पोलिसिस्टिक या फिर क्लैमाइडिया नामक दो अंडाशय से सम्बन्धित दोष उत्पन्न हो  जाते हैं. ये दोनों महिला के हार्मोन्स को प्रभावित करते हैं. जिससे गर्भपात होने की सम्भावना महिला में बढ़ जाती हैं।
6.    गर्भपात होने का एक कारण ह्यूस सिंड्रोम भी हो सकता हैं. यह सिंड्रोम अक्सर लूपुस जैसी बीमारी के होने पर प्रकट हो जाता हैं. जो की गर्भपात होने की एक बहुत ही बड़ी समस्या हैं।
7.    गर्भपात होने की वजह लिस्तिरेइओसिस और टोक्सोप्लाजमोसिज नामक संक्रमण भी हो सकते हैं।
8.     गर्भपात होने का एक कारण महिला की जीवनशैली भी हो सकती हैं. गर्भपात अधिक मात्रा में कैफीन का सेवन करने से भी हो सकता हैं. गर्भपात अगर किसी महिला को शराब पीने की आदत हो या ध्रूमपान करने की आदत हो तो भी हो सकता हैं।

गर्भपात होने के लक्षण
अलग अलग महिलाओं में गर्भपात के लक्षण अलग होते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि सभी को एक ही प्रकार के गर्भपात का अनुभव हो। इसके अतिरिक्त, यह योनिक स्राव कुछ महिलाओं के लिये गर्भापत का चिन्ह नहीं है और कुछ महिलाओं के लिये गर्भावस्था के प्रारम्भ में रक्त स्राव या असामान्य योनिक स्राव स्वस्थ और पूर्ण कालिक गर्भावस्था को देता है। जोखिम को कम करने के लिये चिकित्स्कीय परीक्षण गर्भपात या किसी अन्य स्राव के कारण का पता लगाने के लिये बेहतरीन समाधान है।

1.   विभिन्न प्रकार के योनिक स्राव हैं-
बड़ी मात्रा में तरल या चिंताजनक मात्रा में हल्के गुलाबी रंग के म्युकस का स्राव, अचानक से निकलना गर्भपात का संकेत देता है। भूरे या लाल रंग के दाग गर्भपात का संकेत देते हैं। कुछ मामलों में रक्त स्राव ज्यादा हो सकता है। कोशिकाओं के गुल्म की उपस्थिति स्राव में जो मोटा, थक्केदार रक्त या हल्के गुलाबी या ग्रे पदार्थ गर्भपात का संकेत देता है।

2.  पीठ या पेड़ू में महत्वपूर्ण शारीरिक, केन्द्रित दर्द पर ध्यान देना।
कभी कभी मासिक धर्म के दौरान महिलाओं द्वारा गम्भीर दर्द अनुभव होता है। अगर आपको निचले पेड़ू में तेज़ दर्द होता है तो देखभाल आवश्यक है यह इस बात का संकेत है कि भ्रूण निकलने वाला है। कुछ मामलों में ये संकेत सांस लेने में तकलीफ देते हैं जो गर्भपात के सकारात्मक संकेत हैं।

3.  संकुचन दर्द के बीच के समय पर ध्यान दें।
संकुचन दर्द बच्चे के दर्द के पूर्व देखा जाता है और वह बहुत दर्द देता है और प्राय: लगभग 5 से 20 मिनट पर करता है। लेकिन जब यह दर्द गर्भावस्था के दौरान होता है तो यह गर्भपात का संकेत है। कुछ मामलों में अपरिपक्व दर्द अस्पताल पर रोका जा सकता है और गर्भावस्था को बनाये रखा जा सकता है।

4.  सावधान रहें अगर गर्भावस्था के लक्षण में कमी हो।
गर्भावस्था के लक्षण में कमी या फिर गायब होने का संकेत जैसे वजन में कमी, संकेत दे सकता है कि गर्भावस्था गर्भपात में बदल रहा है और उचित रीति से सूचित किया जाना चाहिये।

5.  मरोड़ें उठना
धब्बों के साथ मरोड़ें उठना गर्भपात होने के शुरूआती लक्षणों में से एक माना जाता है .पर कुछ महिलाओं को इस बात की अनुभूति नहीं होती कि वे गर्भवती हैं, क्योंकि उनकी गर्भावस्था के हॉर्मोन (hormones) कम होने लगते हैं .उदाहरण के तौर पर वे स्तनों की नरमाहट या मतली के लक्षणों को महसूस नहीं कर पाती हैं।
गर्भपात होने के सबसे मुख्य लक्षणों में मरोड़ें उठना, धब्बे और गर्भावस्था के लक्षणों को महसूस ना करना होता है। मरोड़ें और धब्बे पड़ने की समस्या पहली तिमाही में होती है और स्तनों के नर्म होने और मॉर्निंग सिकनेस (morning sickness) जैसे सामान्य लक्षणों से पहले होती है। यह 13 हफ़्तों तक ठीक हो जाती है और तब तक गर्भपात नहीं होता। ऐसे समय अपने डॉक्टर से संपर्क कर लें।

6.  दर्द
खून निकलने के साथ दर्द होना भी गर्भपात का एक लक्षण होता है। यह दर्द, पेट, कूल्हों के भाग या पीठ के निचले हिस्से में हो सकता है। यह दर्द हलके से लेकर मासिक धर्म की मरोड़ों जितना तेज़ हो सकता है। यह बताना कठिन होता है कि यह दर्द सामान्य है या नहीं, क्योंकि इस तरह के दर्द गर्भावस्था के दौरान भी काफी सामान्य होते हैं। उस समय आपके गर्भाशय के बढ़े आकार को संभालने के लिए आपका शरीर बड़ा हो जाता है।

7.  खून निकलना
सबसे पहला और सबसे सामान्य गर्भपात का लक्षण योनि से ख़ून का आना है। ये रक्तस्त्राव हल्का भी हो सकता है या फिर थक्के के रूप में ज्यादा भी। यह रक्तस्त्राव कई दिनों तक चल सकता है और इसका रंग भूरे की जगह चमकीला लाल होता है। पर कई बार रक्तस्त्राव हो जाने के बाद भी गर्भावस्था सामान्य रूप से चलती रहती है। इसे चेतावनी वाला गर्भपात कहा जाता है। गर्भावस्था की पहली तिमाही में रक्त निकलना काफी सामान्य है। अगर आपको लगता है कि आप गर्भवती हैं तो रक्तस्त्राव होने की स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

8.  गर्भावस्था के लक्षणों का बदलना
गर्भावस्था के लक्षणों में आफी बदलाव जैसे बीमार होना या स्तनों का नर्म होना आदि आ सकते हैं। अगर दूसरी तिमाही के पहले ऐसे अजीब बदलाव एक महिला के शरीर में आते हैं तो इसका मुख्य कारण गर्भावस्था के हॉर्मोन में कमी आना या गर्भपात की चेतावनी हो सकता है। इस स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करें।

9.  गर्भावस्था का अहसास ना होना
जब गर्भपात का होना तय रहता है तो महिला के शरीर में अचानक से परिवर्तन होते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर बच्चे की गर्भ में मृत्यु हो जाए तो प्लेसेंटा (placenta) हॉर्मोन का उत्पादन करना बंद कर देता है। इससे महिला को लक्षण समझ में आते हैं और यह अहसास होता है कि उसका गर्भपात हो चुका है।

10.   अचानक पेट में दर्द का उठना और मासिक धर्म  का चालू हो जाना गर्भपात की शुरूआत होती है।

11.     गर्भपात होने से 24 घंटे पहले पेट के निचले हिस्से में हल्का दर्द शुरू होना और सफेद पानी या लाल पानी का जाना शुरू होता है उस समय शीघ् उपचार मिलने से गर्भपात को रोका जा सकता है।
गर्भपात आमतौर पर पहली तिमाही में ही हो जाते हैं, पर बच्चे को खो देने का अहसास हर महिला को अलग अलग समय पर होता है। आपके गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य को जांचने का यह एक तरीका है कि आप उसकी हरकतों पर ध्यान देती रहें। अगर बच्चे की हरकतों में अचानक ही कमी आए या फिर यह पूरी तरह ही बंद हो जाए तो अपने डॉक्टर से बात करें और यह जानकारी लें कि कोई और जांच ज़रूरी है या नहीं।


गर्भस्राव और गर्भपात रोकने हेतु कुछ आयुर्वेदिक उपचार !!
1- गर्भपात या मिसकैरेज को रोकने का पहला उपाय हैं की पीपल की बड़ी कंटकारी की जड को अच्छी तरह से पीस लें. अब एक गिलास भैंस का दूध लें और उसके साथ पीपल की बड़ी कंटकारी की जड़ के चुर्ण को फांक लें. रोजाना दूध के साथ इस चुर्ण का सेवन करने से गर्भपात होने की सम्भावना कम हो जाती हैं।
2- गर्भपात या मिसकैरेज को रोकने उपाय के लिए गाय का दूध और जेठीमधु दोनों को मिलाकर काढ़ा तैयार कर लें. अब इस को पी लें. आप इस काढ़े को अपनी नाभि के निचे के भाग पर भी लगा सकते हैं. काढ़े का सेवन करने से तथा काढ़े को नाभि के निचेले भाग पर लगाने से महिला को गर्भावस्था के दौरान किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी।
3- 100 ग्राम अनार के ताजा पत्ते पीसकर पानी में छानकर पीने से तथा इन पत्तों का रस पेडूपर लेप की तरह लगाने से गर्भस्राव रुक जाता है।
4- गर्भपात या मिसकैरेज को रोकने के उपाय के लिए हरी दूब के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फूल तथा फल) को लें. अब इस पंचांग को अच्छी तरह से पीस लें. पिसने के बाद  इसमें थोड़ी मिश्री और दूध को मिला लें. मिलाने के बाद इस मिश्रण से बना हुआ 250 से 300 ग्राम शर्बत का सेवन गर्भावस्था के दौरान करें. आपको लाभ होगा।
5- गर्भाशय की निर्बलता के कारण गर्भ नहीं ठहरता हो तथा गर्भस्राव या गर्भपात हो जाता हो तो कुछ सप्ताह ताजा सिंघाडे खाने चाहिए. इससे काफी लाभ होता है.
6- गर्भपात को रोकने के उपाय के लिए मूली के बीजों को अच्छी तरह से पीस लें. अब मूली के बीजों के चुर्ण को भीमसेनी कपूर तथा गुलाब के अर्क में मिला लें. अब इस चुर्ण को अपनी योनी में मलें. इस चुर्ण का प्रयोग गर्भावस्था में करने से महिला को बहुत ही फायदा होता हैं. अगर किसी महिला को गर्भा स्त्राव की समस्या हैं. तो वह इस चुर्ण का प्रयोग करके अपनी इस समय से छुटकारा पा सकती हैं।
7- नाशपाती खाने से गर्भाशय की दुर्बलता दूर हो जाती है। तथा गर्भ के कब्ज से भी छुटकारा मिल जाता है।
8- गर्भपात या मिसकैरेज को रोकने के उपाय के लिए महिलाएं नागकेसर, वंशलोचन तथा मिश्री का भो प्रयोग कर सकती हैं। इस समस्या से निदान पाने के लिए इन तीनों को मिलाकर खूब महीन चुर्ण पीस लें. अब एक गिलास दूध लें और उसके साथ 4 ग्राम चुर्ण रोजाना खाएं. आपको लाभ होगा।
9- अगर किसी महिला को गर्भ तारने के बाद गर्भ स्त्राव होने की समस्या से परेशान हैं. तो वह अशोक के पेड़ की छाल का उपयोग कर इस समस्या से निजात पा सकती हैं. इसके लिए अशोक के पेड़ की छाल को लें और उसका क्वाथ बना लें. अब इस क्वाथ का सेवन रोजाना करें. आपको गर्भ स्त्राव की समस्या से छुटकारा मिल जायेगा।
10- गर्भपात या मिसकैरेज को रोकने के उपाय के लिए गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को रोजाना एक पके हुए केले को मथकर उसमें शहद मिलाकर खाना चाहिए. इससे गर्भाशय को लाभ होता हैं. तथा गर्भपात होने का भय भीं नहीं रहता।
11- जिनको बार बार गर्भपात हो जाता हो वे गर्भ स्थापित होते ही नियमित रूप से कमल के बीजों का सेवन करें ,कमल की डंडी और नागकेसर को बराबर की मात्रा में पीस कर सेवन करने से प्रारंभिक महीनों में होने वाला गर्भस्राव रुकता है।
12- गुलर के फलों का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में सुबह शाम दूध के साथ सेवन करते रहने से तथा गुलर की जड़ की छाल का चूर्ण समभाग मिश्री के साथ नियमित सेवन करते रहने से गर्भस्राव नहीं होता है।
13- जिन स्त्रियों को बार बार गर्भपात होता हो उन्हें गर्भस्थापना होते ही नियमित रूप से सुबह शाम एक चम्मच अनंतमूल की जड़ के चूर्ण का सेवन करते रहना चाहिए ! इससे गर्भपात भी नहीं होगा और बच्चा भी स्वस्थ और सुन्दर होगा।
14- तीसरे से पांचवे महीने में गर्भपात की आशंका होने पर नागकेसर के पुष्प , वंशलोचन और मिश्री समभाग लेकर बनाया गया चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में सुबह शाम कुछ दिन तक सेवन करने से गर्भपात नहीं होगा।
15- गर्भपात में अगर रक्तस्राव शुरू हो गया है तो बर्फ लेकर पेड़ू के निचले हिस्से पर 30 मिनट तक लगाएं, और कुछ छोटे टुकड़े कर योनि में भी रख ले, इससे रक्तस्राव रुक जाएगा और आप गर्भपात से बच जाएंगे।
16- यदि गर्भ पात होने की आशंका हो तो गोंद कतीरा एक चम्मच एक गिलास पानी मे भिगोकर कुछ दिन खायें।