मंगलवार, 4 अक्टूबर 2016

प्राकर्तिक चिकित्सा

भारत मे पहली बार  प्राकर्तिक चिकित्सा का सर्टिफिकेट कोर्स

" कल्पांत रेकी साधना कोर्स की सफलता के बाद अब प्राकर्तिक चिकित्सा में 6 महीने का सर्टिफिकेट कोर्स Whatsapp ओर Hike पर "
हम आपको प्राकर्तिक चिकित्सा का 6 महीने का सर्टिफिकेट कोर्स करा रहे हैं। जिसमे आप स्वयं के डाक्टर बन जाते है। ओर सभी साध्य व असाध्य रोंगों का उपचार बिना दवा के प्राकर्तिक तरीके से कर पायेंगें। आपके लिये कुछ सवाल

1. क्या आपका घर मैडिकल स्टोर बनता जा रहा है ? (हाँ/नही)
2. क्या आपके दिन की शुरूआत दवाईयों से होती है ? (हाँ/नही)
3. क्या आप दवाईयाँ खाकर ठीक नही हो रहें है ? (हाँ/नही)
4. क्या आपके रोग बढ़तें जा रहें है ? (हाँ/नही)
5. क्या आप कम खाते हुए भी मोटे होते जा रहें है ? (हाँ/नही)
6. क्या आपका योग करते हुऐ भी बी पी सन्तुलित नही हो पा रहा है ? (हाँ/नही)
7. क्या आपका तनाव बढ़ता जा रहा है ? (हाँ/नही)
8. क्या तीनो समय खाना खाने के बाद भी आपको कमजोरी महसूस होती है ? (हाँ/नही) 
9. क्या दिन-प्रतिदिन हास्पिटलों व बिमारियों की संख्या बढ़ रही है ? (हाँ/नही
10. क्या दैनिक जीवन में हम जहरीले रसायनों व खाद्वो का प्रयोग कर रहें है ? (हाँ/नही)
11. क्या आज प्रत्येक खाद्व पदार्थो मे मिलावटें बढ़ती जा रही है ? (हाँ/नही)
12. क्या हमारें शरीर को जरूरी पोषक तत्वो (विटामिन,खनिज तत्व,आदि) की पूर्ती नही हो पा रही है ? (हाँ/नही) 
13. क्या आपकी रोग प्रतिरोध क्षमता कम होती जा रही है ? (हाँ/नही)
14. क्या आप कम उम्र मे भी बुड़े नजर आने लगें है ? (हाँ/नही)
15. क्या आपको लगता है कि जिन रोगो सें आप जूझ रहें हे उन्हें ठीक नही कर पायेंगें ? (हाँ/नही) 
16. क्या आप वजन कम करने के प्रति गंभीर है ? (हाँ/नही)
17. क्या आपकी एक अच्छे स्वस्थ मे रूचि है ? (हाँ/नही)
18. क्या आप दवाईयो को जीवन मे कम करना चाहते है ? (हाँ/नही)
19. क्या आप क्रोध, भय, चिन्ता, तनाव से मुक्त व ऊर्जावान जीवन जीना चाहते है ? (हाँ/नही)
20. क्या आपको लगता है कि आप अपने रोगो को ठीक नही कर पायेगे ? (हाँ/नही)
21. क्या आप अपने स्वस्थ को केवल 1 घंण्टा देने के लिऐ तैयार है ? (हाँ/नही)

यदि आपके अधिकतर सवालो का जबाव (हाँ) है। तो आप हमारे प्राकर्तिक चिकित्सा का सर्टिफिकेट कोर्स करें। जिसमे आपको इन सब सवालो के जबाव व अधिक स्वस्थ रहने के तरीको के बारे में जान पायेंगें, ओर आप स्वयं स्वस्थ रहकर परिवार को स्वस्थ रख पायेगें।

आज एलोपैथी के उपचार से हम अपनी जीवनी शक्ति को खोते जा रहे है, ओर इतनी मेडिसन लेते हुए भी स्वस्थ नहीं हो पा रहे है, ओर रोंग ठीक होने की जगह बड़ते जा रहे है, दवाईयां कम होने की जगह निरंतर बढती जा रही है, दवाईयों व रोंगों से छुटकारा पाने के लिये प्राकर्तिक चिकित्सा का कोर्स बनाया गया है, हमारा शरीर पांच पंचतत्व व छठा चेतन तत्व (आत्म तत्व) से मिलकर बना है, ओर इन्ही तत्वों के द्वारा हम शरीर को पूर्ण रूप से स्वस्थ रख सकते है, हमारे शरीर में वो जीवनी शक्ति है जिसके द्वारा हम स्वयं रोंगों को ठीक कर सकते है, प्राकर्तिक चिकित्सा हमें वो जीवन शेली देती है जिससे हम रोंगों को तो ठीक करते ही है साथ ही साथ आने वाले रोंगों से भी बच जाते है, ओर एक बार कोर्स करके आप लाखो रूपये की सर्जरी व दवाईयों से बच जायेंगें।

इस कोर्स में प्राकर्तिक चिकित्सा का इतिहास क्या है, प्राकर्तिक चिकित्सा क्या है, प्राकर्तिक चिकित्सा के सिद्धांत क्या है, पंच तत्व क्या है, उनसे किस प्रकार चिकित्सा की जाती है, असाध्य रोंगों का उपचार बिना दवा के केसे करे, विभिन्न स्त्री, पुरुष, बच्चों के रोंग व सामान्य रोंगों के लक्षण कारण व उपचार, जल तत्व चिकित्सा, वायु तत्व चिकित्सा, आकाश तत्व चिकित्सा, मिटटी तत्व चिकित्सा, अग्नि तत्व चिकित्सा के बारे में विस्तार से जानेंगें। 

यह पूरा कोर्स Whatsapp ओर Hike पर होगा। हम आपको नोट्स भेजेंगे और आपको निरंतर उनको पढ़ना होगा। 6 महीने बाद आपको एक एग्जाम पेपर पीडीऍफ़ में दिया जायेगा उसको हल करके मुझे कोरियर करना होगा, ओर आपको प्राकर्तिक चिकित्सा का सर्टिफिकेट आपके पते पर भेंज दिया जायेंगा। जो आत्मजन कोर्स करना चहाते है उन्है 5100 रू जमा करने होगें। रू जमा करते ही आपको एक फार्म पीडीएफ मे दिया जायेंगा। आपको उसे डाउनलोड कर भरकर तीन फोटो के साथ कोरियर करना होगा। ओर साथ ही आपका कोर्स शुरू कर दिया जायेगा।

कोर्स पूरा होने के बाद जो आत्मजन प्रयोगात्मक ट्रेनिग की इच्छा रखते है उन्हें एक दिवसीय ट्रेनिग हमारे केंद्र कल्पांत सेवाश्रम मुरादनगर गाजियाबाद पर 1000 रू जमा कर प्रदान की जाएगी।

अधिक जानकारी के लिए "9958502499" पर संपर्क करें

हमारा उद्देश्य -:  आज विश्व में एलोपेथिक इलाज की पद्धति, वैज्ञानिक अनुसंधान, निदान तकनीकी और औषधियों (अंग्रेजी) ने यूं तो मृत्यु पर विजय प्राप्त करने का साहस जुटाया है, और आकस्मिक बीमारियों व दुर्घटनाओं के आपातकालीन ईलाज में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को भी साबित किया है। बाल मृत्यु दर को कम किया है। महिलाओं की प्रसव के दौरान होने वाली मृत्यु दर को भी घटाया है। असाध्य और गंभीर रोंगों से शायद एलोपैथी मुक्ति तो नहीं दिला सकी परंतु उस पर नियंत्रण अवश्य प्राप्त किया है। मनुष्य की औसत आयु को बढ़ाने में भी एलोपैथिक औषधिय इलाज लाभदायक सिद्ध हो रहे हैं, वही रोंगों को दीर्घकालिक व आसाध्य बनाने में अपनी नकारात्मक भूमिका अदा करना भी शायद एलोपैथिक चिकित्सक की अपनी मजबूरी है।

खानपान, जीवन शैली के असिमित बदलावों मैं आज मात्र भारतीय नागरिकों को ही नहीं वरन संसार के संपूर्ण मानव जाति को तमाम ऐसे विभिन्न रोगों से ग्रस्त कर लिया है जिसका निदान किसी भी पद्धति मैं नहीं है। जेसे (केंसर व एडस)। दुधारु पशुओं को दिए जाने वाले हार्मोन, पशु चारे में उपलब्ध केमिकल, विषैले रसायन, फल, सब्जी व अन्न में लगी खाद पेस्टिसाइड कीटनाशक, कीटाणुनाशक, फुई फफूंद नासक अपने विषैले साइड इफेक्ट मानव शरीर पर दिन-प्रतिदिन डाल रहे हैं। यातायात के साधन, उच्च शिक्षा, पक्के बहु मंजिला मकान, दो पहिऐ व चार पहिया वाहन और टेलीविजन से जुड़ी विलासिता ने भारतीय शहरी नागरिकों को दिनप्रतिदिन मानव श्रम से दूर कर दिया है, जिससे शरीर के समस्त हड्डी के जोड़ व  मांसपेशियों के साथ तंत्रिका तंत्र भी शिथिल होता जा रहा है। जिसके कारण रक्त  परिसंचरण तंत्र, शवसन तंत्र, पाचन तंत्र, उत्सर्जन तंत्र, ज्ञान इन्द्विय तंत्र, जननेद्विय तंत्र व चिंतन तंत्र को दूषित कर दिया है। बाकी बचा हुआ नुकसान वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण ने शरीर में विसंगतियो को उत्पन्न कर पूरे मानव शरीर के सिस्टम को अस्त-व्यस्त कर दिया है और अधिकांश युवा अवस्था से ही किसी न किसी जटिल रोंग से (मधुमेह, ह्रदय, व सैक्स रोंग) जीवन यापन कर रहे हैं। प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति जो बिना रसायनिक औषधियों पर या यूँ कहे बिना औषधियों पर आधारित है, उसका महत्ब दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इसी उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए प्राकृतिक चिकित्सा का यह कोर्स तैयार किया गया है। इसको करके आप स्वयं को व परिवार को स्वास्थ्य प्रदान कर सकते है।

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