मंगलवार, 4 अक्तूबर 2016

प्राकर्तिक चिकित्सा

भारत मे पहली बार  प्राकर्तिक चिकित्सा का सर्टिफिकेट कोर्स
स्वास्थ्य क्रांति -: आज 21वीं सदी का एक दशक बीत चुका है। आने वाला समय जरूरी है, स्वास्थ्य क्रांति के लिए, स्वास्थ रहने की इच्छा प्रत्येक व्यक्ति में होती है। और हम स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता के शुरुआती दौर में हैं। क्योंकि अधिकांश लोग यह नहीं जानते कि हम जो पसंद कर रहे हैं, वह हमारे शरीर पर व स्वास्थ्य पर क्या असर डाल रहा है, और जो हमें लाभकारी है, वह क्या है। हम वही स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाने जा रहे हैं। हम लोगों को उनके स्वास्थ्य के प्रति सहयोगी प्राकृतिक उपचार, खानपान, दिनचर्या, रात्रि चर्या, आदि को इस कोर्स के द्वारा विस्तार से बताएंगे। साथ ही साथ हम उन गलतियों का भी एहसास कराएंगे, जिसके कारण हमारा शरीर रोगी होता जा रहा है। हम बीमार कैसे हो रहे हैं। ओर कैसे हम दीर्घ स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं। यह सब इस कोर्स में बताएंगे।

आज हम इस युग में एक नई स्वास्थ्य क्रांति करने जा रहे हैं। जिसमें आप शामिल होकर अग्रणी भूमिका निभाऐगें। आज सरकार स्वास्थ्य पर एक अच्छा खासा बजट देती है। परंतु क्या वह स्वास्थ्य पर खर्च हो रहा है। यह सोचनीय विषय है। जो खर्च हम बीमार होने पर स्वस्थ होने के लिए कर रहे हैं, वह स्वस्थ रहने पर (रोगी ही न हो पर) क्यों नहीं कर रहे। आज स्वास्थ्य के नाम पर किया जाने वाला खर्च बीमारीयों पर सामान्य से कैंसर तक प्रतिक्रियात्मक उत्पाद एवं सेवाएं उपलब्ध कराना है। यह उत्पाद बीमारी के लक्षणों को खत्म करते हैं या फिर दवा देते हैं। परन्तु बीमारी खत्म नही हो पाती ओर दवाईयां बन्द करने के कुछ समय बाद दुबारा वही लक्षण पैदा हो जाते है। या फिर कुछ रोंगो मे (मधुमेह, बीपी, ह्रदय रोंगो में) हम जीवन भर दवाईयां खाते है ओर रोंग खत्म होने की जगह बढ़ते जाते है। साथ-साथ दवाईयां भी बढ़ती जाती है।


परंतु आज जरूरत है ऐसे स्वास्थ्य, ऐसे उत्पाद, और सेवाओं की जिससे हम बीमार ही ना पड़े। हमारी बढ़ती उम्र का असर धीमा हो जाए, और कोई भी बीमारी शुरुआती दौर में ही खत्म हो जाए। यह तभी संभव है, जब हमें पता हो, कि बीमारी कैसे पैदा हो रही है। हम कैसे उसको रोक सकते हैं। कैसे हम उससे बच सकते हैं। वह कौन से तरीके हैं, जो जीवन को आरामदायक एवं आनंदित बना सकते हैं। जिनसे हम जीवन की गुणवत्ता व दीर्घ आयु प्राप्त कर सकते है।
बीमा कंपनियां भी आज स्वास्थ्य बीमा कर रही हैं। कि अगर बीमार हो गए, तो पैसा हम देंगे, नई-नई दवाइयों के आने से क्या रोग रुक रहे हैं। आज जितने हास्पिटल बढ़ रहे हैं, उतने ही मरीज भी तैयार हो रहे हैं क्यों, क्योंकि हम बीमारी के बाद स्वास्थ्य के बारे में सोचते हैं। स्वस्थ रहने पर उसे स्थाई रखने की कोशिस नही करते, और जानबूझकर उसे बिगड़ने देते हैं। या यूं कहें कि रोगों का पता हमें शुरू से होता है। जब रोग पहली दस्तक देता है। तो हम जानते हैं कि शरीर में कुछ असहज हो रहा है। परंतु हम उस असहजता को नजरअंदाज करते जाते हैं। और जब वह रोंग बड़ा बनकर उभरता है। तो ठीक होना चाहते हैं क्यों। क्योंकि हमें जानकारी नहीं है। यही है स्वास्थ क्रांति, कि हम स्वस्थ रहने की ओर अग्रसर हो, ना कि रोगों को ठीक करने के लिऐ।



आज प्राकृतिक चिकित्सा, एक्यूप्रेशर, सुजोक, जल चिकित्सा, मड चिकित्सा, योग चिकित्सा, रेकी हीलिंग, जैसी 150 से भी जायेंदा वैकल्पिक चिकित्सा अपना अस्तित्व बनाने में लगी हुई है। जो मनुष्य को स्वास्थ्य प्रदान कर रही है। लोगों में दिन-प्रतिदिन जागरुकता बढ़ रही है, और यह स्वास्थ्य चेतना भी हमारे जीवन को निश्चित रूप से बदलने में सक्षम होगी। हमें आज जरुरत है पंचतत्व को जानने की, उनके प्रयोग की, हमारा शरीर पूर्ण रूप से पंच तत्वों के सहयोग व ऊर्जा (आत्मा चेतना आदि) के सहयोग से बना है। और उसी की कमी या अधिकता से रोगी भी होता है। हम कोर्स में प्रत्येक तत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे और उनकी पूर्ति कैसे करनी है, कमी होने पर क्या क्या रोग होते हैं, अधिक होने पर क्या क्या रोग होते हैं। उनका संतुलन कैसे रख सकते हैं। यदि हमने यह जान लिया तो निश्चित ही हम स्वास्थ्य रक्षक बन जाएंगे स्वयं के भी और दूसरों के भी, इसके लिए आज से ही स्वास्थ्य क्रांति की ओर बड़े और जन स्वास्थ्य रक्षक बने तथा दूसरों को भी स्वास्थ्य के प्रति जागरुक करें यही उद्देश्य है इस स्वास्थय क्रांति का इस प्राकृत चिकित्सा के कोर्स का।

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